नेफकॉब के नवनिर्वाचित बोर्ड के सदस्यों ने लक्ष्मी दास को नेफकॉब का नया अध्यक्ष चुनकर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया है।
दिल्ली के कांगड़ा सहकारी बैंक के अध्यक्ष दास ने गुजरात के दिग्गज सहकारी नेता ज्योतिंद्र मेहता का स्थान लिया है। मंगलवार को हुये चुनाव में उत्तर भारत शहरी सहकारी बैंक महासंघ के निदेशक मुदित वर्मा और कॉसमॉस सहकारी बैंक के अध्यक्ष मिलिंद काले को नेफकॉब के दो उपाध्यक्षों के रूप में चुना गया है।
अपने नाम की घोषणा होने के तुरंत बाद, भारतीयसहकारिता से बात करते हुए, दास ने कहा, “यह मेरे लिए एक बड़ी खबर है क्योंकि जब मैंने सुना कि मैं नेफकॉब का नया अध्यक्ष बनूंगा तो मुझे खुद विश्वास नहीं हुआ। मैं बोर्ड के सदस्यों के प्रति आभारी हूं, जिन्होंने मुझे इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है।”
“मैं शहरी सहकारी बैंकिंग क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए ज्योतिंद्र मेहता-एचके पाटिल की टीम के साथ मिलकर काम करूंगा”, दास ने फोन पर कहा।
बता दें कि नव नियुक्त अध्यक्ष कांग्रेस पृष्ठभूमि वाले एक सहकारी नेता है, जो दिल्ली के सहकारी क्षेत्र में एक जाना-माना चेहरा है।
भारतीय सहकारिता को पता चला कि एच के पाटिल के नेतृत्व वाले पूरे बोर्ड का विचार ज्योतिंद्र मेहता को एक और कार्यकाल के लिए अध्यक्ष बनाना था लेकिन बहु-राज्य सहकारी अधिनियम के चलते उनके हाथ बांधे हुए थे। लेकिन बोर्ड के कुछ सदस्यों ने इस मामले में कानूनी राय भी मांगी थी।
इस बीच मेहता ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, “मैं गलत मिसाल कायम करने वाला व्यक्ति नहीं बनना चाहता हूं। मैं अब अंब्रेला संगठन पर ध्यान केंद्रित करना चाहता हूं और इस परियोजना पर अब अधिक रचनात्मक रूप से काम कर सकता हूं।
दास को अध्यक्ष चुने जाने के फैसले पर मेहता ने कहा कि बोर्ड के अन्य सदस्यों को लगा कि वह अनुभवी सहकारी नेता है और सबसे वरिष्ठ भी हैं। सौम्य और बेहद सरल स्वभाव के धनी और अक्सर सफेद कुर्ता पायजामा पहनने वाले दास सहकारिता क्षेत्र से लंबे समय से जुड़े हुए हैं।
पाठकों को याद होगा कि नेफकॉब के चुनाव में मेहता-पाटिल पैनल ने सभी 19 सीटों पर जीत हासिल की थी।
नेफकॉब बोर्ड के नवनिर्वाचित निदेशक ज्योतिंद्र मेहता, एचके पाटिल, अजय ब्रम्हेचा, एडवोकेट के जयवर्मा, वेमीरेड्डी नरसिम्हा रेड्डी, ओपी शर्मा, रामबाबू शांडिल्य, उदय जोशी कांतिभाई पटेल, अलका श्रीवास्तव, चलसानी राघवेंद्र राव, के कलप्पा, गौतमभाई व्यास, ज्ञानचंद गार्ड, कांजीभाई भलाला और ए.एम. हिंदसगेरी हैं।