हिंदी दैनिक अमर उजाला को दिए एक साक्षात्कार में इफको के एमडी डॉ. यू.एस.अवस्थी ने कहा कि 2027 तक भारत के कृषि निर्यात को 45 अरब डॉलर से बढ़ाकर 115 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य है, इसमें सहकारिता क्षेत्र का काफी बड़ा योगदान होगा।
उन्होंने कहा, वैश्विक कृषि बाजार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए कई बड़े कदम उठाए गए हैं। इसे गति देने के लिए नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट लि. (एनसीईएल), भारतीय बीज सहकारी समिति लि. (बीबीएसएसएल), नेशनलज कोऑपरेटिव आर्गेनिक्स लि. (एनसीओएल) का गठन किया गया है।
“अगर सरकार अनुमति दे तो हम अकेले ही देश में नैनो यूरिया और नैनो खाद उपलब्ध करा सकते हैं, आयात की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। उन्होंने अधिक से अधिक नैनो यूरिया और नैनो डीएपी प्रयोग करने की सलाह दी ताकि जलवायु परिवर्तन के असर को कम किया जा सके”, अवस्थी ने कहा।
कुछ शोध में नैनो यूरिया के कम असर करने के सवाल पर उन्होंने कहा, जब कोई नई चीज आती है, तो उसका एक पक्ष होता है, एक विपक्ष होता है। जब तक विपक्ष नहीं होगा, चीज अच्छी निकलकर नहीं आएगी। किसी ने कुछ विरोध में बोला है तो हम इसे बुरा भी नहीं मानते, लेकिन करीब 98 फीसदी लोग हमारे पास आ रहे हैं कि ये अच्छी चीज है। जिन लोगों को ये कम असरदार लगी, वो एक बार फिर तरीके से इसका उपयोग करें।
अवस्थी ने कहा कि भारत के युवा कृषि में अधिक से अधिक तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। आगे भी तकनीक का उपयोग करेंगे, जिसमें नमो ड्रोन दीदियां काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
इफको के एमडी ने बताया, अभी देशभर में करीब 300 ड्रोन दीदियां को प्रशिक्षण दिया गया है, वो हर रोज 1000-2000 रुपये तक की कमाई कर रही हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं का तकनीक के साथ महिला सशक्तीकरण हो रहा है।