भारतीय रिज़र्व बैंक ने चुनिंदा शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के आश्वासन कार्यों के प्रमुखों (अर्थात्, मुख्य अनुपालन अधिकारी, मुख्य जोखिम अधिकारी और आंतरिक लेखा परीक्षा के प्रमुख) के लिए मुंबई में एक सम्मेलन आयोजित किया।
आरबीआई की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, “सम्मेलन में 120 से अधिक यूसीबी का प्रतिनिधित्व कर रहे लगभग 300 प्रतिभागियों ने भाग लिया। ‘आघात-सहनीय वित्तीय प्रणाली – प्रभावी आश्वासन कार्यों की भूमिका’ विषय पर यह कार्यक्रम, रिज़र्व बैंक द्वारा अपनी विनियमित संस्थाओं के साथ पिछले एक वर्ष से आयोजित की जा रही पर्यवेक्षी गतिविधियों की शृंखला का एक हिस्सा है।”
इस शृंखला के भाग के रूप में, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के आश्वासन कार्यों के प्रमुखों के लिए सम्मेलन पूर्व में आयोजित किया गया था।
उप गवर्नर श्री एम. राजेश्वर राव और श्री स्वामीनाथन जे. ने प्रतिभागियों को संबोधित किया। कार्यपालक निदेशकगण, श्री एस. सी. मुर्मू, श्री सौरव सिन्हा, श्री रोहित जैन और श्री मनोरंजन मिश्रा ने भी रिज़र्व बैंक के विनियमन, पर्यवेक्षण और प्रवर्तन विभागों का प्रतिनिधित्व करने वाले अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सम्मेलन में भाग लिया।
राव ने अपने मुख्य भाषण में तीन आश्वासन कार्यों के महत्व और उनकी प्रभावकारिता तथा स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। वित्तीय प्रणाली में अन्य सहभागियों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने मुख्य जोखिम अधिकारियों से बैंकों के तुलन-पत्र में जोखिमों की निगरानी और रोकथाम में प्रबंधन की सहायता करने का आह्वान किया। अनुपालन कार्य के लिए उन्होंने दूरदर्शी और पूर्वानुमानात्मक दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया।
उन्होंने महत्वपूर्ण निष्कर्षों की सक्रिय रिपोर्टिंग करने और आवश्यक सुधारात्मक कार्रवाई को सुविधाजनक बनाने/ सुनिश्चित करने हेतु संगठन के भीतर अन्य कार्यों के साथ एक स्पष्ट संचार चैनल स्थापित करने के लिए आंतरिक लेखापरीक्षा कार्य को भी प्रोत्साहित किया।
स्वामीनाथन ने अपने संबोधन में, रिज़र्व बैंक की पर्यवेक्षी अपेक्षाओं को रेखांकित किया और कहा कि प्रभावी आश्वासन कार्य बैंकों की वित्तीय सुदृढ़ता की रक्षा करने के साथ-साथ उनके ग्राहकों और अन्य हितधारकों के विश्वास को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उन्होंने उभरते जोखिमों के साथ-साथ पारंपरिक जोखिमों की बदलती गतिकी को पहचानने और प्रबंधित करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिसके लिए आंतरिक नियंत्रण प्रणालियों को निरंतर अद्यतन और मजबूत किया जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रिज़र्व बैंक वित्तीय क्षेत्र के प्रति अपने समग्र दृष्टिकोण के अनुरूप यूसीबी में पहचानी गई खराब अभिशासन पद्धतियों, यदि कोई हो, के प्रति अपनी शून्य-सहिष्णुता नीति का पालन करना जारी रखेगा।
इस सम्मेलन में रिज़र्व बैंक के मुख्य महाप्रबंधकों द्वारा तीन आश्वासन कार्यों (जोखिम प्रबंधन, अनुपालन और आंतरिक लेखापरीक्षा) पर तकनीकी सत्र शामिल थे। चुनिंदा यूसीबी के आश्वासन कार्यों के प्रमुखों द्वारा सर्वोत्तम पद्धतियों और चुनौतियों पर प्रस्तुतिकरण भी किए गए।
रिज़र्व बैंक के कार्यपालक निदेशकों और प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, पर्यवेक्षण विभाग के साथ प्रतिभागियों के खुले संवाद के साथ सम्मेलन का समापन हुआ।