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7,500 सदस्य और 2,000 करोड़ रुपये का निर्यात! एनसीईएल विकास पथ पर

नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटेड (एनसीईएल) को अब तक सदस्यता के लिए 7,500 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं और समिति अब तक 2000 करोड़ रुपये का निर्यात कर चुकी है।

एनसीईएल का लक्ष्य ‘सहकार से समृद्धि’ विजन को पूरा करने के साथ-साथ निर्यात के लिए बाजारों से जुड़ाव प्रदान कर सहकारी समितियों को मजबूत करना है। इसके अलावा,  सहकारी समितियों को जीवंत आर्थिक संस्थाओं में बदलना और कृषि उत्पादों के लिए नए बाजार तलाशना भी है।

इसका उद्देश्य कृषि निर्यात में सहकारी समितियों की हिस्सेदारी बढ़ाना और किसानों तक निर्यात का लाभ सुनिश्चित करना है।

एनसीईएल एक बहु राज्‍य सहकारी समिति है, जिसे देश के सभी राज्‍यों में काम कर रही सहकारी समितियों की अंब्रेला सहकारी एजेंसी कहा जा सकता है, जो सहकारी क्षेत्र के निर्यात यानी एक्‍सपोर्ट के लिए काम करेगा।

देश में 8 लाख से अधिक पंजीकृत सहकारी समितियां हैं, जिनके 29 करोड़ से अधिक सदस्‍य हैं। ये सहकारी समितियां ग्रामीण स्‍तर पर कृषि, डेयरी, पशुधन, हर्बल दवाएं, हस्‍तशिल्‍प के कार्यों में लगी हुई हैं।

वहीं इन्‍हीं उत्‍पादों की विश्‍व बाजार में बेहद मांग है। अभी तक इन उत्‍पादों को विश्‍व बाजार में यानी भारत से एक्‍सपोर्ट प्राइवेट प्‍लेयर करते थे, लेकिन अब कृषि उत्‍पाद समेत सहकारी समितियों के उत्‍पादों को एनसीईएल एक्‍सपोर्ट करेगा।

पाठकों को याद होगा कि राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बताया था कि, एनसीईएल को 16 देशों से 14,92,800 मीट्रिक टन गैर-बासमती सफेद चावल, पांच देशों से 8,98,804 मीट्रिक टन टूटे चावल, एक देश से 14,184 मीट्रिक टन गेहूं अनाज, 5326 मीट्रिक टन गेहूं का आटा, 15,226 मीट्रिक टन मैदा/सूजी और दो देशों से 50,000 मीट्रिक टन चीनी निर्यात करने का ऑर्डर मिली है।

एनसीईएल पूरे सहकारिता क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था बनेगी और आने वाले दिनों में इसमें खरीद, भंडारण, प्रसंस्करण, विपणन, ब्रांडिंग, लेबलिंग, पैकेजिंग, सर्टिफिकेशन, रिसर्च एंड डेवलपमेंट जैसे सभी पहलुओं को शामिल करते हुए एक संपूर्ण निर्यात इकोसिस्टम बनाने का काम किया जाएगा। इसके अलावा बाजार की मांग के अनुरूप उत्पादन हो, इसके लिए एफपीओ और पैक्स को साथ रखकर इसका एक डिजाइन तैयार किया जाएगा।

 

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