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आरबीआई ने दो अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों का लाइसेंस किया रद्द

भारतीय रिज़र्व बैंक ने उत्तर प्रदेश स्थित बनारस मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक और कर्नाटक स्थित शिमशा सहकारी बैंक नियमिथा का लाइसेंस रद्द कर दिया है।

आरबीआई ने बनारस मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस कई कारणों से रद्द किया है। बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और आय की संभावनाएं नहीं हैं। इस प्रकार, यह बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 11 (1) और धारा 22 (3) (डी) के प्रावधानों का अनुपालन नहीं करता है।

इसके अलावा, बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धाराओं 22 (3) (ए), 22 (3) (बी), 22 (3) (सी), 22 (3) (डी) और 22 (3) (ई) की अपेक्षाओं के अनुपालन में विफल रहा है और बैंक का बने रहना उसके जमाकर्ताओं के हितों के प्रतिकूल है।

बैंक अपनी वर्तमान वित्तीय स्थिति के साथ अपने वर्तमान जमाकर्ताओं को पूर्ण भुगतान करने में असमर्थ होगा; तथा यदि बैंक को अपने बैंकिंग कारोबार को जारी रखने की अनुमति दी जाती है तो जनहित प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगा, आरबीआई ने कहा।

बैंक द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, लगभग 99.98% जमाकर्ता डीआईसीजीसी से उनकी पूरी जमाराशि प्राप्त करने के हकदार हैं। 30 अप्रैल 2024 तक, डीआईसीजीसी ने बैंक के संबंधित जमाकर्ताओं से प्राप्त सहमति के आधार पर डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 की धारा 18ए के प्रावधानों के अंतर्गत कुल बीमाकृत जमाराशि के 4.25 करोड़ रुपये का भुगतान पहले ही कर दिया है।

शिमशा सहकारी बैंक नियमिथा के संदर्भ में आरबीआई ने सहकारिता आयुक्त एवं सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, कर्नाटक से अनुरोध किया है कि वे बैंक का समापन करने और बैंक के लिए एक परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करें।

शिमशा सहकारी बैंक नियमिथा द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, लगभग 99.96% जमाकर्ता डीआईसीजीसी से उनकी पूरी जमाराशि प्राप्त करने के हकदार हैं। 31 मार्च 2024 तक, डीआईसीजीसी ने बैंक के संबंधित जमाकर्ताओं से प्राप्त सहमति के आधार पर डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 की धारा 18ए के प्रावधानों के अंतर्गत कुल बीमाकृत जमाराशि के 11.85 करोड़ का भुगतान पहले ही कर दिया है।

इस बैंक का लाइसेंस भी आरबीआई ने कई कारणों से रद्द किया है। बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और आय की संभावनाएं नहीं हैं। इस प्रकार, यह बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 11 (1) और धारा 22 (3) (डी) के प्रावधानों का अनुपालन नहीं करता है।

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