ममता बनर्जी की पश्चिम बंगाल की सरकार से एक अच्छी खबर है। राज्य सरकार, नीतीश कुमार की तर्ज पर सहकारी क्षेत्र में आपराधिक प्रवृत्तियों और अलोकतांत्रिक मानदंडों को खत्म करना चाह रही है।
इस उद्देश्य के लिए ममता सरकार ने सहकारी क्षेत्र के लिए एक समर्पित निर्वाचन आयोग का गठन किया है, यह सहकारी क्षेत्र के पुनर्गठन की दिशा में एक बड़ा कदम है।
पाठकों को याद होगा कि नीतीश ने 2008 में बिहार के अंदर प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के निष्पक्ष चुनाव के लिए चुनाव प्राधिकरण की स्थापना की थी। यह पैक्स(PACS) के सभी ग्रामीण केंद्रित योजनाओं में असरदार साबित हुआ है।
पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग जल्द ही एक हजार से अधिक प्राथमिक सहकारी समितियों के प्रबंध निकायों के लिए चुनाव आयोजित करेगा।
पश्चिम बंगाल में हजारों पंजीकृत सहकारी समितियाँ हैं, इसके अलावा लगभग पांच हजार से अधिक प्राथमिक कृषि समितियां और बीस से अधिक जिला केंद्रीय सहकारी बैंक हैं।
सूत्रों का कहना है कि राज्य में सहकारी संस्थाओं में से अधिकांश अभी भी वर्तमान कम्युनिस्टों द्वारा अलोकतांत्रकीय तरीके से प्रबंधित हो रहे है, उन्हें ममता सरकार द्वारा बाहर निकाला जा रहा है।