नेशनल कोऑपरेटिव यूनियन ऑफ इंडिया (एनसीयूआई) ने 20 नवंबर 2024 को 71वें अखिल भारतीय सहकारी सप्ताह के समापन अवसर पर मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटियों के प्रतिनिधियों के लिए एक संगोष्ठी का आयोजन किया। यह कार्यक्रम हाइब्रिड मोड में आयोजित हुआ, जिसमें देशभर से 40 से अधिक प्रतिष्ठित सहकारी प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
एनसीयूआई अध्यक्ष दिलीप संघानी ने सभी प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए एमएससीएस अधिनियम और नियमों में संशोधन के बाद उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा की और आश्वासन दिया कि उनका फीडबैक इन मुद्दों के समाधान के लिए सरकार को प्रस्तुत किया जाएगा।
एनसीयूआई के उपाध्यक्ष और डीएससीबी के चेयरमैन डॉ. बिजेंद्र सिंह ने सहकारी शासन को मजबूत बनाने के लिए आत्ममंथन की आवश्यकता पर जोर दिया।
आईसीए-एपी के अध्यक्ष डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव ने सहकारी जागरूकता बढ़ाने के लिए देशव्यापी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सेवा क्षेत्र में युवाओं के लिए सहकारी समितियों के गठन का प्रस्ताव रखा और सहकारी शिक्षा निधि (सीईएफ) पर सरकारी नियंत्रण के कारण प्रशिक्षण कार्यक्रमों में रुकावट पर चिंता व्यक्त की।
एनडीडीबी के चेयरमैन डॉ. मीनश शाह ने सक्रिय सदस्यता की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए “सहकार से सहकार” के सिद्धांत को अपनाने का आह्वान किया।
एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. सुधीर महाजन ने सहकारी आंदोलन में हाल के संशोधनों और नई सहकारी नीतियों पर चर्चा की। उन्होंने तीन राष्ट्रीय-स्तरीय सहकारी समितियों की स्थापना, सहकारी सूचना अधिकारी और सहकारी लोकपाल की नियुक्ति जैसे बड़े बदलावों को रेखांकित किया।
संगोष्ठी में बिनोद आनंद, एसएस महौर, सुनीता पारस्कर, चंदर प्रकाश, ओपी शर्मा, पवन पुरी, वीके चौहान, और बिनोद आशीष सहित अन्य प्रतिष्ठित प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम का समापन एनसीयूआई की डिप्टी चीफ एग्जीक्यूटिव सावित्री सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।