नई दिल्ली के भारत मंडपम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आईसीए वैश्विक सहकारी सम्मेलन 2024 का उद्घाटन किया। उन्होंने भूटान के प्रधानमंत्री महामहिम दाशो शेरिंग तोबगे, फिजी के उप प्रधानमंत्री महामहिम मनोआ कामिकामिका, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, और अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (आईसीए) के अध्यक्ष एरियल ग्वार्को समेत अन्य गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पहली बार है जब भारत में यह सम्मेलन आयोजित हो रहा है। उन्होंने सहकारिता को भारत की संस्कृति और जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा बताया। मोदी ने महात्मा गांधी और सरदार पटेल के सहकारिता आंदोलन में योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि अमूल जैसे ब्रांड इस यात्रा की सफलता का उदाहरण हैं।
उन्होंने बताया कि भारत में 8 लाख सहकारी समितियां हैं, जो ग्रामीण भारत के 98% हिस्से को कवर करती हैं और 30 करोड़ से अधिक लोगों को जोड़ती हैं। इन समितियों ने चीनी, उर्वरक, मत्स्य पालन, और दुग्ध उत्पादन में बड़ी भूमिका निभाई है।
प्रधानमंत्री ने सरकार द्वारा सहकारिता को मजबूत करने के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख किया, जिसमें बहु-राज्य सहकारी समितियों के लिए नए मॉडल उपनियम और उन्हें डिजिटल इकोसिस्टम से जोड़ना शामिल है। उन्होंने कहा कि सरकार सहकारी समितियों के माध्यम से 2 लाख बहुउद्देश्यीय समितियां स्थापित कर रही है और अनाज भंडारण के लिए देशव्यापी गोदाम बना रही है।
महिलाओं की भूमिका पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि सहकारी क्षेत्र में 60% से अधिक भागीदारी महिलाओं की है। उन्होंने महिला निदेशकों के लिए बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम में संशोधन और वंचित वर्गों के लिए आरक्षण का उल्लेख किया।
मोदी ने कहा कि सहकारिता वैश्विक सहयोग को नई ऊर्जा दे सकती है, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ के देशों के लिए। उन्होंने इस सम्मेलन को सहकारी आंदोलन को नई दिशा देने में मील का पत्थर बताया।
प्रधानमंत्री ने वैश्विक सहकारी आंदोलन को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने और सरल व पारदर्शी वित्तीय मॉडल विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सहकारिता को जलवायु लचीलापन और स्टार्टअप संस्कृति से जोड़ने की बात कही।