
केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने सोमवार को लोकसभा में ‘त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक, 2025’ पेश किया। यह विधेयक गुजरात स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट आनंद को ‘त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय’ के रूप में स्थापित करना है।
विधेयक के अनुसार, यह विश्वविद्यालय सहकारी क्षेत्र में तकनीकी और प्रबंधन शिक्षा तथा प्रशिक्षण प्रदान करने, सहकारी अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने और इन क्षेत्रों में वैश्विक उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए समर्पित होगा। यह “सहकार से समृद्धि” के दृष्टिकोण को साकार करने के साथ-साथ देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए संस्थानों के साथ मिलकर काम करेगा।
इसके अलावा, विधेयक में विश्वविद्यालय की स्थापना और संचालन से जुड़े विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है। यह विश्वविद्यालय को नियमों और विनियमों के निर्माण की अनुमति देता है, बशर्ते वे इस अधिनियम, इसके तहत बनाए गए विधियों और अध्यादेशों के अनुरूप हों।
विधेयक के अनुसार, विश्वविद्यालय को प्रत्येक वर्ष वार्षिक रिपोर्ट तैयार करनी होगी और सही ढंग से वार्षिक लेखे संधारित करने होंगे, जिनका लेखा परीक्षण भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा किया जाएगा।
इसके वित्तीय कार्यों के लिए एक ‘विश्वविद्यालय निधि’ की स्थापना का भी प्रावधान किया गया है।
साथ ही, यह विश्वविद्यालय सभी जातियों, पंथों, नस्लों और वर्गों के व्यक्तियों के लिए खुला रहेगा और इसमें प्रवेश तथा रोजगार में केंद्र सरकार की आरक्षण नीति का पालन किया जाएगा।
विधेयक में केंद्र सरकार को विश्वविद्यालय के कार्यों और प्रगति की समीक्षा करने और निरीक्षण करने का अधिकार दिया गया है, साथ ही आवश्यक निर्देश जारी करने की शक्ति भी प्रदान की गई है।
इसमें कुलपति (चांसलर) की नियुक्ति का प्रावधान भी है, जिनकी सेवा शर्तों को विधियों के माध्यम से निर्धारित किया जाएगा।
गुजरात स्थित इरमा, जिसे अब ‘त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय’ के रूप में जाना जाएगा, की स्थापना 1979 में भारत में श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन के नेतृत्व में की गई थी।