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नैबकॉन्स रिपोर्ट पर नाबार्ड चेयरमैन से मिले कोटेचा, मांगा समर्थन

नेफकॉर्ड के अध्यक्ष डॉलर कोटेचा ने हाल ही में मुबंई स्थित नाबार्ड मुख्यालय में नाबार्ड के चेयरमैन शाजी केवी से मुलाकात की। इस बैठक में नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विसेज- नैबकॉन्स द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में प्रस्तावित कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों के पुनर्गठन पर चर्चा की गई।

नैबकॉन्स रिपोर्ट में राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों को राज्य सहकारी बैंकों में तथा प्राथमिक सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों को जिला सहकारी बैंकों में विलय करने की सिफारिश की गई है। हालांकि, कोटेचा ने इन प्रस्तावित विलयों की व्यवहार्यता और प्रभाव पर गंभीर चिंताएं व्यक्त कीं और कहा कि संपूर्ण सहकारी बैंकिंग क्षेत्र की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए एक समावेशी दृष्टिकोण आवश्यक है।

बैठक में नियामक चुनौतियों, संचालन संबंधी जोखिमों और पुनर्गठन योजना को लागू करने में शामिल हितधारकों की चिंताओं पर भी चर्चा हुई। नेफकार्ड बोर्ड ने सुझाव दिया कि सहकारिता मंत्रालय को रिपोर्ट के अध्याय 16 में उल्लिखित सुधारों को लागू करने के लिए कदम उठाने चाहिए। इन सुधारों को कंप्यूटरीकरण की चल रही प्रक्रियाओं के साथ जोड़कर तीन से पांच वर्षों में वित्तीय स्थिरता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।

रिपोर्ट में सात राज्यों में 324 पीसीएआरडीबी के परिसमापन का प्रस्ताव दिया गया है, जिन पर 2022-23 में 11,000 करोड़ रुपये के बकाया ऋण थे। यदि इन बैंकों को बंद किया जाता है, तो संबंधित एससीएआरडीबी को इन ऋणों को पूरी तरह से खोए हुए परिसंपत्तियों के रूप में मानकर प्रावधान करना होगा, जिससे वे भारी वित्तीय नुकसान में चले जाएंगे और उनका राज्य सहकारी बैंकों (एससीबी) में विलय और भी जटिल हो जाएगा।

रिपोर्ट के अनुसार, 13 एससीआरडीबी में से गुजरात, उत्तर प्रदेश, पुडुचेरी, त्रिपुरा और जम्मू-कश्मीर में यूनिटरी लॉन्ग-टर्म क्रेडिट स्ट्रक्चर है, जबकि हरियाणा, कर्नाटक, केरल, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु में फेडरल सिस्टम अपनाया गया है।

हिमाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मिश्रित प्रणाली प्रचलित है। रिपोर्ट में हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के एससीआरडीबी और पीसीएआरडीबी को वित्तीय अस्थिरता के कारण बंद करने की सिफारिश की गई है। जम्मू-कश्मीर एससीएआरडीबी को भी समाप्त करने और उसकी शाखाओं को राज्य सहकारी बैंक से जोड़ने का सुझाव दिया गया है।

पुडुचेरी और त्रिपुरा के एससीआरडीबी को शॉर्ट-टर्म कोऑपरेटिव क्रेडिट स्ट्रक्चर (एसटीसीसीएस) में शामिल करने और घाटे को कवर करने के लिए वित्तीय सहायता देने का सुझाव दिया गया है। वहीं, गुजरात और उत्तर प्रदेश के एससीआरडीबी को वित्तीय रूप से मजबूत माना गया है, और उन्हें बैंकिंग लाइसेंस के लिए पात्र माना जा सकता है।

एससीआरडीबी का भविष्य अनिश्चित बना हुआ है। केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल सरकारें विलय का विरोध कर पुनरुद्धार की वकालत कर रही हैं, जबकि पंजाब और कर्नाटक सरकारें आर्थिक सहायता की मांग कर रही हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल वित्तीय घाटे के आधार पर किसी बैंक का विलय या परिसमापन उचित नहीं होगा। एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है, जिससे सहकारी बैंकिंग प्रणाली की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित हो सके और हितधारकों का संरक्षण भी हो।

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