ताजा खबरें

97 बहु-राज्यीय क्रेडिट सहकारी समितियों पर कार्रवाई

देश के विभिन्न राज्यों में 97 मल्टी-स्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटियों (एमएससीएस) के लिए लिक्विडेटर नियुक्त किए गए हैं। यह निर्णय इन सोसाइटियों में वित्तीय कुप्रबंधन और शासन संबंधी विफलताओं की व्यापक जांच के बाद लिया गया है।

विशेष रूप से, राजस्थान में सबसे अधिक 26 सोसाइटियां लिक्विडेशन के दायरे में आई हैं, इसके बाद महाराष्ट्र में 15, उत्तर प्रदेश में 13, और ओडिशा व दिल्ली में 12-12 सोसाइटियां शामिल हैं।

केंद्रीय सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार (सीआरसीएस) के आंकड़ों के अनुसार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, पंजाब और गुजरात में भी कई सोसाइटियों के खिलाफ लिक्विडेशन प्रक्रिया शुरू की गई है।

इन सोसाइटियों को भंग करने का निर्णय गंभीर वित्तीय अनियमितताओं, धोखाधड़ी और सहकारी बैंकिंग नियमों के उल्लंघन के आरोपों के चलते लिया गया है। सरकार ने जमाकर्ताओं और संपूर्ण वित्तीय प्रणाली पर संभावित खतरे को देखते हुए यह कड़ा कदम उठाया है।

इस नियामक कार्रवाई के तहत कई प्रमुख क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटियों की जांच की जा रही है। इनमें ओडिशा की अर्थ तत्‍व मल्टी-स्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, स्वस्तिक इंडिया मल्टी-स्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और गुजरात की आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड प्रमुख रूप से शामिल हैं। इन संस्थानों पर वित्तीय गड़बड़ियों, धन के दुरुपयोग और सदस्यों व जमाकर्ताओं के प्रति दायित्वों को पूरा न करने के आरोप हैं।

इसी तरह, राजस्थान में राजीव गांधी मेमोरियल मल्टी-स्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और श्री खेतेश्वर अर्बन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड को भी संदिग्ध वित्तीय अनियमितताओं के कारण लिक्विडेशन प्रक्रिया में शामिल किया गया है।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस लिक्विडेशन प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य जमाकर्ताओं और निवेशकों के हितों की सुरक्षा करना है।

इस बड़ी कार्रवाई ने भारत में सहकारी क्रेडिट सोसाइटियों की संचालन व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन संस्थाओं के पतन से यह स्पष्ट हो गया है कि सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में कड़े नियामक सुधार, पारदर्शिता और वित्तीय नियमों को सख्ती से लागू करने की जरूरत है।

भविष्य में इस तरह की वित्तीय संकट से बचने के लिए मजबूत प्रशासनिक व्यवस्था, कठोर कानूनी प्रावधान और पारदर्शी ऑडिट प्रक्रिया को अपनाना आवश्यक हो गया है।

Tags
Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close