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पद्म पुरस्कार: सहकारी क्षेत्र को मिले अपना हक

भारत की आर्थिक वृद्धि में सहकारी क्षेत्र एक मजबूत स्तंभ रहा है, जिसने दुग्ध उत्पादन, उर्वरक, ग्रामीण ऋण और खाद्य सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है। इसके बावजूद, यह क्षेत्र प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कारों में अपेक्षित प्रतिनिधित्व से वंचित रहा है।

यह चिंता का विषय है कि बहुत कम सहकारी नेताओं को राष्ट्रीय सम्मान मिला है, जबकि उनका कार्य पूरे देश में लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित कर चुका है।

अब, जब पद्म पुरस्कार 2026 के लिए नामांकन शुरू हो चुके हैं, तो सहकारी क्षेत्र के अग्रदूतों के लिए यह एक सुनहरा अवसर है कि वे अपने योगदान के लिए राष्ट्रीय पहचान प्राप्त करें।

भारत सरकार ने नामांकन प्रक्रिया 15 मार्च 2025 से शुरू की है, जो 31 जुलाई 2025 तक जारी रहेगी। इच्छुक व्यक्ति स्वयं के लिए आवेदन कर सकते हैं या किसी ऐसे व्यक्ति की सिफारिश कर सकते हैं, जिनका योगदान सराहनीय रहा हो। नामांकन और अनुशंसा केवल राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल के माध्यम से स्वीकार किए जाएंगे।

पद्म पुरस्कार—पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री—देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान हैं, जो कृषि, व्यापार, उद्योग और सामाजिक कार्य जैसे विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियों को मान्यता प्रदान करते हैं।

1954 में स्थापित ये पुरस्कार उन व्यक्तियों का सम्मान करते हैं, जिनके कार्यों का समाज पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ा है। दुर्भाग्यवश, भारत की आत्मनिर्भरता और आर्थिक सशक्तिकरण में सहकारी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, इसे अब तक वह मान्यता नहीं मिली है, जिसका यह हकदार है।

भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आकार देने में सहकारी आंदोलन की अहम भूमिका रही है। अमूल जैसे संस्थानों ने श्वेत क्रांति का नेतृत्व किया, जबकि इफको ने उर्वरक उत्पादन में अहम योगदान दिया। इफको का नैनो फर्टिलाइजर न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी क्रांतिकारी परिवर्तन ला रहा है।

सहकारी बैंक और क्रेडिट सोसाइटीज़ लाखों किसानों और छोटे व्यापारियों को वित्तीय समावेशन प्रदान कर रही हैं। इन संस्थानों और उनके नेताओं के योगदान को कम नहीं आंका जा सकता, फिर भी पद्म पुरस्कार प्राप्त करने वालों की सूची में उनकी उपस्थिति बेहद सीमित रही है।

सरकार ने पद्म पुरस्कारों को “पीपुल्स पद्म” में बदलने की प्रतिबद्धता जताई है और नागरिकों से अपील की है कि वे महिला, कमजोर वर्गों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और दिव्यांग व्यक्तियों में से योग्य उम्मीदवारों की पहचान कर नामांकित करें।

यह सहकारी क्षेत्र के लिए आगे आने और अपने दिग्गजों को वह राष्ट्रीय सम्मान दिलाने का अवसर है, जिससे वे अब तक वंचित रहे हैं। जिन्होंने अपने जीवन को सहकारी आंदोलन को समर्पित किया है, उन्हें अब देश के सर्वोच्च स्तर पर सम्मानित किया जाना चाहिए।

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