
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को लोकसभा में जानकारी दी कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वर्ष 2020 से अब तक 58 अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं।
यह कार्रवाई बैंकिंग विनियमन (संशोधन) अधिनियम, 2020 के लागू होने के बाद की गई है, जिसने सहकारी बैंकों पर आरबीआई की निगरानी को और सख्त बना दिया है। 26 जून, 2020 से प्रभावी इन संशोधनों में प्रबंधन, लेखा परीक्षा, पूंजी आवश्यकताओं और बैंक पुनर्निर्माण या विलय से संबंधित कड़े नियम लागू किए गए हैं।
अब बैंकिंग विनियमन अधिनियम की धारा 10, 10ए, 10बी, 35बी और 36एबी के प्रावधान सहकारी बैंकों पर भी लागू होते हैं, जिससे इन बैंकों की निगरानी और सुदृढ़ हो गई है।
जमाकर्ताओं की सुरक्षा के लिए, डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन अधिनियम के तहत प्रति जमाकर्ता 5 लाख रुपये तक की बीमा सुरक्षा प्रदान की जाती है। फरवरी 2020 में इस सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया था।
इसके अलावा, आरबीआई ने सोमवार को पांच सहकारी बैंकों पर नियामक नियमों के उल्लंघन के कारण आर्थिक दंड लगाया।
गुरदासपुर सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक (पंजाब) पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया, जबकि बारामूला सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक (जम्मू-कश्मीर) पर भारतीय रिज़र्व बैंक के नए जमाराशि स्वीकार करने पर प्रतिबंध लगाने संबंधी निर्देशों के उल्लंघन के लिए 5 लाख रुपये का मौद्रिक दंड लगाया गया।
इसके अलावा, अनंतनाग सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक (जम्मू-कश्मीर) पर भी नए जमाराशि स्वीकार करने पर प्रतिबंध लगाने संबंधी आरबीआई के निर्देशों के उल्लंघन के लिए 1 लाख रुपये रुपये का जुर्माना लगाया गया।
जोगिंद्रा सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक (हिमाचल प्रदेश) पर भी 1 लाख रुपये का दंड लगाया गया।
गोंदिया (महाराष्ट्र) स्थित जनता सहकारी बैंक पर बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 56 के साथ पठित धारा 26ए के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए 1.50 लाख रुपये का मौद्रिक दंड लगाया गया।
यह दंड बीआर अधिनियम की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।