
भारतीय रिज़र्व बैंक ने प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) से संबंधित दिशानिर्देशों की व्यापक समीक्षा के बाद संशोधित नियम जारी किए हैं। इस प्रक्रिया में वित्तीय संस्थानों, नीति निर्माताओं और उद्योग विशेषज्ञों के सुझावों को सम्मिलित किया गया है।
संशोधित दिशानिर्देश 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे और इनका उद्देश्य प्राथमिकता क्षेत्र ऋण की पहुंच और प्रभाव को बढ़ाना है। इन नए नियमों के तहत विभिन्न ऋण श्रेणियों में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं।
संशोधित दिशानिर्देशों के तहत, आवास ऋण की सीमा बढ़ाई गई है, जिससे व्यक्तियों और परिवारों को घर खरीदने के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करना आसान होगा। यह बदलाव प्राथमिकता क्षेत्र ऋण मानदंडों को मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों के अनुरूप बनाने के लिए किया गया है। इससे किफायती आवास योजनाओं को बढ़ावा मिलेगा और लोगों के लिए घर खरीदना अधिक सुगम होगा।
आरबीआई ने नवीकरणीय ऊर्जा श्रेणी के तहत ऋणों के दायरे को भी विस्तारित किया है। अब सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोमास और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को पीएसएल के तहत शामिल किया गया है। यह कदम स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने और सतत विकास को गति देने के लिए उठाया गया है।
संशोधित दिशानिर्देशों में शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए प्राथमिकता क्षेत्र ऋण का लक्ष्य बढ़ाकर 60% कर दिया गया है। यह लक्ष्य समायोजित शुद्ध बैंक ऋण (एएनबीसी) या ऑफ-बैलेंस शीट एक्सपोज़र (सीईओबीएसई) के क्रेडिट समतुल्य में से जो भी अधिक हो, उस पर आधारित होगा। यह बदलाव सहकारी बैंकों को प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अधिक ऋण देने के लिए प्रेरित करेगा, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
आरबीआई ने ‘कमजोर वर्ग’ श्रेणी के तहत पात्र उधारकर्ताओं की सूची का विस्तार किया है, जिससे हाशिए पर मौजूद समुदायों के लिए ऋण की उपलब्धता में सुधार होगा। इसके अलावा, शहरी सहकारी बैंकों द्वारा महिलाओं को दिए जाने वाले व्यक्तिगत ऋण की अधिकतम सीमा को हटा दिया गया है।
यह बदलाव महिलाओं को वित्तीय रूप से सशक्त बनाने और महिला उद्यमियों को अधिक ऋण सहायता प्रदान करने के लिए किया गया है। इससे बैंकिंग सेवाओं तक महिलाओं की पहुंच बढ़ेगी और आर्थिक रूप से उन्हें आत्मनिर्भर बनने में सहायता मिलेगी।
संशोधित पीएसएल दिशानिर्देशों के तहत बैंक ऋण को प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाएगा, जिससे वित्तीय संसाधनों का उचित आवंटन सुनिश्चित हो सकेगा। इस पहल के माध्यम से आरबीआई वित्तीय समावेशन को मजबूत करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और बैंकिंग नियमों को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप लाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराता है।