
भारत में हरित ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, राष्ट्रीय सहकारी चीनी मिल महासंघ लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) और भारतीय हरित ऊर्जा महासंघ (आईएफजीई) ने पूरे देश में गन्ना आधारित जैव-ऊर्जा समाधान को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
यह समझौता एनएफसीएसएफ के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे और आईएफजीई की जैव-ऊर्जा समिति के अध्यक्ष तथा प्राज उद्योग में जैव-ऊर्जा प्रमुख अतुल मुळे द्वारा हस्ताक्षरित किया गया।
इस कार्यक्रम में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, एनएफसीएसएफ के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल, आईएफजीई गन्ना एवं जैव-ऊर्जा मंच के अध्यक्ष तथा रेणुका शुगर्स लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक रवि गुप्ता समेत कई अन्य प्रमुख व्यक्ति उपस्थित थे।
यह सहयोग नवाचार को प्रोत्साहन, नीति-समर्थन, और हरित ऊर्जा उपायों को अपनाने में सहायक होगा। इसमें दोनों संस्थाओं की विशेषज्ञता और संसाधनों का सम्मिलन होगा। एनएफसीएसएफ, सहकारी चीनी उद्योग से प्राप्त अनुभव के माध्यम से गन्ना और उसके उप-उत्पादों से जैव-ऊर्जा उत्पादन संबंधी ज्ञान प्रदान करेगा, साथ ही शोध सहयोग एवं नीति प्रचार गतिविधियों में भी सहयोग करेगा।
वहीं आईएफजीई, गन्ना आधारित हरित ऊर्जा पहलों को देश-विदेश में प्रचारित करेगा, और ज्ञान-साझाकरण कार्यशालाओं, सेमिनारों, तथा नीति निर्धारकों और औद्योगिक नेताओं के साथ संवाद कार्यक्रमों का आयोजन करेगा।
इसके अतिरिक्त, दोनों संस्थाएं मिलकर भारत सरकार और विभिन्न नीति-निर्माण निकायों के समक्ष संयुक्त रूप से अपने हितों का प्रतिनिधित्व करेंगी। परियोजना आधारित सहयोग की योजना परिस्थिति एवं आवश्यकता के अनुसार बनाई जाएगी, जिससे लचीलापन बना रहेगा।
यह भागीदारी भारत के पारंपरिक चीनी उद्योग को देश के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों से जोड़ने की दिशा में एक निर्णायक पहल मानी जा रही है। इससे गन्ने को केवल खाद्य फसल नहीं बल्कि ऊर्जा उत्पादन का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी माना जाएगा।