भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ ने अपने सदस्यों से कहा है कि वे बदलते समय के साथ एनसीयुआई की उपनियम में परिवर्तन का सुझाव दें।
उल्लेखनीय है कि उपनियम से संबंधित मुद्दों पर हर वक्त एनसीयुआई को अदालत में घसीटा जाता है।
मुदित वर्मा, गवर्निंग काउंसिल के सदस्य ने एनसीयुआई की सहकारिता के संरक्षण से संबंधित अधिनियम 2002 के लिए एक सुझाव भेजा है।
श्री वर्मा का कहना है कि अगर शासी परिषद का निर्वाचित सदस्य संगठन में अपना पद खो देता है तो उसे जीसी का सदस्य नहीं रहना चाहिए।
जीसी चुनाव के लिए निर्वाचन क्षेत्र की संरचनाओं पर उनका कहना है कि सदस्य राज्य सहकारी संघ और सहकारी संघ शासित क्षेत्रों के बीच में से नौ सदस्यों को निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित किया जाना चाहिए। ये नौ सदस्य राज्यों में से आते हैं।
20 प्रतिनिधियों को उच्चतम योगदानकर्ताओं में से निर्वाचित किया जाना चाहिए।
दोनों राष्ट्रीय और राज्य स्तरों पर फिशकोपफेड, एनएफसीएल, एनएचइसी और अन्य विभिन्न सहकारी महासंघों का प्रतिनिधित्व पर श्री वर्मा अन्य राज्य सहकारी फेडरेशन और एसोसिएशन, जो इस सूची में शामिल नहीं है, को भी शामिल करना चाहते है।
इसके अलावा एक सदस्य बहु राज्य सहकारी समितियों के प्रतिनिधियों में से अलग से निर्वाचित किया जाना चाहिए।
जीसी के गठन के लिए चुनाव प्रक्रिया एनसीयुआई के लिए एक सिर दर्द बनकर रह गया है।
मुदित वर्मा कहते हैं, जी सी के सदस्य को अपने निर्वाचन क्षेत्रों के प्रतिनिधियों के बीच से निर्वाचित होना चाहिए। यदि वहाँ एक से अधिक पद रिक्त है, तो प्रत्येक मतदाता के लिए मतदान करना जरुरी होना चाहिए।