रियो+20 दस्तावेज में सहकारी आंदोलन की भूमिका आंदोलन की भूमिका की सराहना की गई है। इससे कृषि विकास, रोजगार, सामाजिक विकास और गरीबी कम करने के लिए महत्वपूर्ण माना गया हैं। दुनिया के देशों ने इस दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर इतिहास की रचना कर दी है।
रियो+20 2012 सस्टेनेबल डेवलपमेंट (युएनसीएसडी) संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन, रियो डी जेनेरो, 1992 ‘पृथ्वी शिखर सम्मेलन’ के 20 साल बाद रियो+20 ब्राजील में 20-22 जून तक हुआ। सम्मेलन में एक “हरी अर्थव्यवस्था” की एक रूपरेखा बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
ये सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है। डेम पाउलीन ग्रीन, सहकारी अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन (अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो दुनिया भर के 100 देशों में सहकारी समितियों का प्रतिनिधित्व करता है) के अध्यक्ष ने कहा, “सहकारी समितियों के सदस्य और समर्थक लंबे समय से गरीबी, और नर-नारी समानता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम करते रहे है।”
सम्मेलन इस बात पर सहमत हैं कि सहकारी एक बेहतर दुनिया बना सकता है, सहकारिता के संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय इस वर्ष में सहकारी मूल्यों पर आधारित व्यापार मॉडल वास्तव में एक अच्छी बात हो सकती है।
सम्मेलन में इसका भी उल्लेख किया गया कि ब्राजील सरकार को यकीन है कि सहकारी संस्थाएँ सतत विकास को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण तत्व हो सकती है।
ड्रिबन के मुताबिक जनवरी में न्यूयॉर्क शहर में कनाडा के प्रतिनिधिमंडल ने संयुक्त राष्ट्र से वार्ता शुरू की और वे बड़े धैर्य के साथ सहकारिता से संबंधित बातों को दस्तावेज में शामिल कराने में सफल रहे। हम उनके प्रति आभार व्यक्त करना चाहते है।
दस्तावेज़ में सहकारिता का 3 बार उल्लेख है।
हम सामाजिक समावेश और विशेष रूप से विकासशील देशों में गरीबी कम करने के लिए योगदान में सहकारी समितियों की भूमिका को स्वीकार करते हैं।
हम 2020/2030 के लिए कृषि उत्पादन और उत्पादकता सहित, बाजार और अंतर्राष्ट्रीय समर्थन तंत्र में सुधार के माध्यम से, विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए कृषि और ग्रामीण विकास में सार्वजनिक और निजी निवेश में वृद्धि के साथ निवेश और समर्थन के लिए प्रमुख क्षेत्रों में जैसी कई बातें शामिल हैं। ग्रामीण बुनियादी ढांचे, भंडारण क्षमता और संबंधित प्रौद्योगिकी, फसल और अन्य खाद्य नुकसान को कम करने और अनुसंधान और टिकाऊ कृषि तकनीकों का विकास, मजबूत कृषि सहकारी समितियों के विकास और स्थायी कृषि पद्धतियों, और शहरी ग्रामीण संपर्क को मजबूत करने जैसे मुद्दे शामिल है।
रोजगार निर्माण और गरीब लोगों की भलाई के लिए हर संभव कदम उठाए जाने चाहिए। अर्थव्यवस्था ऐसी हो जिसमें वातावरण पर कम से कम दबाव उत्पन्न हो। इन लक्ष्यों की प्राप्ति के बिना एक सुंदर दुनिया का निर्माण असंभव है। उल्लेखनीय है कि इस महान कार्य में सहकारी आंदोलन की भूमिका अहम रहनेवाली है।