एफएओ और ओईसीडी ने कहा है कि दुनिया अभी भी जनसंख्या विस्फोट का सामना कर रही है और कृषि उत्पादन में कम से कम 60 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की जरुरत है ताकि इस विशाल आबादी की खाद्य जरूरतों को पूरा किया जा सके।
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने मीडिया को रोम में बताया कि कृषि में वृद्धि की संभावना नहीं है और उपलब्ध संसाधन भी गंभीर रूप से सीमित हैं। दुनिया में उपलब्ध अधिकांश जमीन में अत्यधिक खेती की वजह से गिरावट आई है।
उत्पादकता को इस तरह से बढ़ाना होगा की पर्यावरण को कोई नुकसान नही हो, यह एकमात्र रास्ता लगता है जिससे बढ़ रही जनसंख्या और कृषि उत्पादन में कमी से उत्पन्न चुनौती का सामना किया जा सकता है, उन्होंने कहा।
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के अनुसार, अभी भी विकासशील देशों में आशा की किरण दिखती है क्योंकि उनके कृषि उत्पादन में सुधार की गुंजाइश है।
एफएओ टिप्पणियों के प्रकाश में यह स्पष्ट है कि आनेवाला समय में भारत में सहकारी समितियों को बड़ी जिम्मेदारियों को अपने कंधो पर लेना होगा।