शंकर चौधरी वह शख्स है जो जीसीएमएमएफ में 18 अगस्त को होनेवाले चुनाव की कुंजी अपने पास रखते है।
विश्व प्रसिद्ध अमूल ब्रांड का मुख्यालय गुजरात के आनंद में है।
शंकर सिंह भाजपा विधायक और बनास जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष है। वह मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुत करीबी है।
जीसीएमएमएफ अध्यक्षता की लड़ाई वर्तमान अध्यक्ष पार्थी भतोल और उनके पुराने विरोधी विपुल चौधरी के बीच है।
भारतीय सहकारिता को पता चला है कि नरेंद्र मोदी वर्तमान अध्यक्ष पार्थी भतोल के पक्ष में है। लेकिन मोदी खुद इस चुनावी वर्ष में कई मुश्किलों से घिरे हुए है।
मोदी की समस्या केशु भाई पटेल है जिन्होंने अपनी खुद की एक पार्टी बना ली है।
विपुल चौधरी भी भाजपा से है और वे पार्टी नेतृत्व द्वारा मनोनीत होना चाहते है।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि चुनावी वर्ष में कुछ भी हो सकता है। मोदी चुनावी राजनीतिक मजबूरियों के कारण उतना दबंग नही हो पा रहे है जितना पहले होते थे।
पार्थी भतोल के बेटे वसंत भतोल का भी भाजपा नेतृत्व के साथ भाजपा विधायक होने का प्रभाव है। विपुल को अच्छी तरह से उनको खाते में लेना होगा। अब तक उम्मीद्वारी निश्चित नही हो पाई है।
बनास से कदवार नेता शंकर चौधरी भी भतोल के पक्ष में है। नरेंद्र मोदी के साथ चौधरी की निकटता भतोल के पक्ष में एक मजबूत बिंदु है।
लेकिन भतोल को रामसिंह परमार का भी ध्यान रखना होगा अगर वे अध्यक्षता के लिए अपना नामांकन सुरक्षित करना चाहते है। पिछली बार रामसिंह परमार ने विपुल चौधरी के साथ मिलकर भतोल को परेशान किया था। लेकिन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी उनके बचाव में आ खड़े हुए थे।
देश में गुजरात सहित सहकारी राजनीति को पार्टी लाइन पर नहीं बांटा गया है। क्योंकि चुनाव जीतने के लिए बीजेपी का आदमी कांग्रेस के समर्थन के जुगाड़ में देखा जाना एक आम दृश्य है। पार्टी तटस्थ होना भी सहकारी राजनीति को संकीर्ण विचारों से ऊपर उठने में मदद करता है।
लेकिन जब मोदी के खुद का घर जल रहा है तब दूसरे की आग को बुझाने में वे कितना प्रभावी हो पाते है यह देखना दिलचस्प होगा।