मुंबई उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि अगर हाउसिंग सोसाइटी और बिल्डर दोनों के बीच कोई अनुबंध मौजूद नही है तो बिल्डर को पुनर्विकास के अधिकार देने के लिए हाउसिंग सोसायटी को मजबूर नहीं किया जा सकता है।
गोपी गोरवानी ने एक निचली अदालत द्वारा दिए गए पुनर्विकास अधिकारों से वंचित होने के फैसले के खिलाफ उच्च अदालत में अपील की थी।
क्योंकि बिल्डर अपना तर्क पर्याप्त सबूत के साथ पेश नही कर सका उसकी अपील उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दी गई।