भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ ने 97वें संविधान संशोधन अधिनियम पर एक विचारावेश सत्र का आयोजन किया जो सहकारिता को एक मौलिक अधिकार का दर्जा देता है।
यह एक अखिल भारतीय समूह था जिसमें सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, सहकारी समितियों के सचिव और कुछ राज्यों जैसे बिहार, महाराष्ट्र, गोवा और तमिलनाडु के सहकारिता मंत्रियों ने भाग लिया। एनसीयुआई के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के अलावा राज्य संघ सहकारिता मंत्री चरण दास महंत भी मौजूद थे।
एनसीयुआई के अध्यक्ष चन्द्र पाल सिंह यादव ने भारतीय सहकारिता डॉट कॉम को बताया कि सात घंटे तक बिना रुके चले इस सत्र में राज्य स्तर पर कार्य के अनुकूलन पर विचार-विमर्श किया गया। अपने-अपने राज्य के सहकारी अधिनियम में आवश्यक संशोधन करने की अपेक्षा करते हुए कई राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने इन मुद्दों पर चर्चा की, उन्होंने कहा।
इसमें संशोधन के अधिकांश बिन्दुओं पर सहमति थी लेकिन कुछ बिन्दु ऐसे थे जिनपर स्पष्टता हासिल नहीं की जा सकी। हमने इस तरह के मुद्दों की एक सूची तैयार की है और उन्हें आगे प्रवर्धन के लिए केंद्र सरकार को भेजेंगे, एनसीयुआई अध्यक्ष ने भारतीय सहकारिता को बताया।
सभा को संबोधित करते हुए भारत के केन्द्रीय रजिस्ट्रार आर.के. तिवारी ने कहा कि यह संशोधन सहकारी क्षेत्र के लिए एक सुनहरा मौका है और हमें इससे लाभ लेना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि सहकारी पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था का एक अविभाज्य घटक है।
तमिलनाडु, बिहार, महाराष्ट्र और गोवा से भाग लेने आए सहकारी मंत्रियों ने सभा को आश्वासन दिया कि उनके राज्यों में संशोधन जल्दी ही किया जाएगा।
संशोधन में समय पर चुनाव, निर्धारित शर्तें, निश्चित अवधि के लिए एक विशेष एजेंसी के द्वारा चुनाव का नियंत्रण, उचित ऑडिट और महिलाओं, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण, अन्य कई बातों के अलावा इन मुद्दों की सिफारिश की गई।
इस अवसर पर राज्य संघ सहकारिता मंत्री चरण दास महंत ने कहा कि इस संशोधन में शरद पवार और शिवाजी राव पाटिल ने निर्णायक भूमिका निभाई है। मंत्री ने कहा कि राज्यों में अधिनियम लागू करने के लिए शेष चार महीनें है इसमें उन्हें अपनी जमीनी कार्यों को पूरा कर लेने चाहिए।
एनसीयुआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दिनेश ने इस अवसर पर अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।