आखिरकार बहु राज्य सहकारी अधिनियम में सुझावों के अंत होने के साथ ही एक नई उम्मीद की रोशनी नजर आ रही है।
इसे पहली बार 2009 में पेश किया गया था और 2010 में लोक सभा द्वारा पारित कर दिया गया, बहुराज्य सहकारी सोसायटी विधेयक 2010 के संशोधित संस्करण का संसद के शीतकालीन सत्र में अधिनियम बनने की संभावना है।
बासुदेव आचार्य के नेतृत्व में संसदीय पैनल के लिए भेजे गए बिल पर संबंधित लोगों द्वारा काफी विचार विमर्श किया गया है।
इफको के प्रबंध निदेशक यूएस अवस्थी के नेतृत्व वाली टीम ने पहली बार पैनल के लिए अपना सुझाव रखा था। टीम में एमडी राकेश कपूर और सहकारी संबंध निदेशक जीएन सक्सेना शामिल थे।
एनसीयुआई टीम जिसका नेतृत्व अध्यक्ष चन्द्र पाल सिंह यादव कर रहे थे उसमें मुख्य कार्यकारी डॉ. दिनेश भी शामिल थे।
सरकार की हिस्सेदारी के लिए फेस वैल्यू या बुक वैल्यू का मुद्दा और एक निर्वाचित बोर्ड को बर्खास्त करने का उन्मुक्त अधिकार केंद्रीय पंजीयक को दिया जा रहा है और पांच साल के लिए अंतरिम बोर्ड का गठन इन सबका सहकारी नेताओं द्वारा विरोध किया जा रहा है।
सरकार के मुताबिक पिछले 8 साल से बहु राज्य सहकारी अधिनियम के काम करने के बाद यह महसूस किया गया है कि अधिनियम में संशोधन की जरूरत है।
हम बिल के प्रमुख प्रावधानों को नीचे दर्शा रहें है-
1. केंद्रीय रजिस्ट्रार, बहु राज्य सहकारी समिति को बीमार घोषणा कर सकता है। वह बोर्ड को भंग कर सकते है और 5 वर्ष की अधिकतम अवधि के लिए अंतरिम बोर्ड का गठन कर सकते है।
2. बहु राज्य सहकारी सोसायटी की पूर्ण राशि वापस कर सकती है या सरकार द्वारा शेयर पूंजी का हिस्सा फेस वैल्यू या बुक वैल्यू जो भी अधिक हो पर निर्धारित किया जा सकता है। .
3. बहु राज्य सहकारी सोसायटी के बोर्ड में एक सीट अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के लिए और महिलाओं के लिए दो सीटें आरक्षित रखी जाएंगी।
4. एक लेखा परीक्षा बोर्ड का गठन होगा और उपनियमों के अनुसार नैतिकता समिति कि तीन महीने में एक बार बैठक होगी। इसके अलावा केन्द्र सरकार की लेखा परीक्षा और लेखा मानकों को सोसायटी द्वारा अपनाया जा सकता है। केन्द्र सरकार भी बहु राज्य सोसायटी के लिए एक विशेष लेखा परीक्षा का आदेश कर सकती हैं जिसमें केन्द्र सरकार या राज्य सरकार की शेयर पूंजी है।
5. किसी भी विवाद के संदर्भ में केंद्रीय रजिस्ट्रार विवाद खुद सुलझा सकते हैं या निर्णय लेने के लिए किसी व्यक्ति को हस्तांतरण कर सकते हैं और ऐसे में इसे नियम और शर्त के रूप में निर्दिष्ट किया जा सकता है। इस उपखंड के तहत पारित आदेश अंतिम और बाध्यकारी होगा और किसी भी अदालत में उसको चुनौती नही दी जा सकेगी।
6. हर बहु राज्य सहकारी सोसायटी को एक मुख्य सूचना अधिकारी की नियुक्ति करना होगी, जिसे आवेदन प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर सोसायटी के मामलों और प्रबंधन के बारे में जानकारी प्रदान करना होगी।
7. केंद्र सरकार सहकारी चुनाव प्राधिकरण को नियुक्ति करेगी जो कि चुनाव का संचालन करने के लिए, मतदाता सूची तैयार करने और निर्वाचन अधिकारी को नियुक्त करने का कार्य करेंगे।
8. केंद्र सरकार एक कोष स्थापित करेगी जिसे सहकारी पुनर्वास और पुनर्निर्माण फंड के नाम से जाना जाएगा जिसमें सोसायटी के एक साल में अधिकतम 3 करोड़ रुपए के कारोबार पर 0.005 से 0.1 प्रतिशत का योगदान शामिल होगा।
9. यदि बहु राज्य सहकारी के अध्यक्ष बोर्ड की बैठक की तारीख तय करने में विफल रहता है तो अनुरोध प्राप्त होने पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी एक चौथाई निदेशकों की माँग पर बोर्ड की बैठक आयोजित कर सकता हैं।
10. बोर्ड बैठक का कोरम में कुल संख्या भागीदारी का एक तिहाई होगी और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग को कोरम के उद्देश्य के लिए माना जाएगा।
11. आवेदन, दस्तावेज़, निरीक्षण आदि के अनिवार्य फाइलिंग इलेक्ट्रॉनिक रूप में होगा।
(इन प्रावधानों पर सहकारी नेताओं की प्रतिक्रिया जल्द ही प्रकाशित की जाएगी)