कर्नाटक राज्य में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। सहकारी संघो ने अपनी इच्छाओं और मांगों की सूची सार्वजनिक करना शुरु कर दिया है। सहकार भारती ने कर्नाटक राज्य में सहकारी मामलों के लिए एक अलग अदालत के गठन की मांग की है।
एक स्रोत के अनुसार हजारों मामलों को निपटाए जाने का इंतज़ार किया जा रहा हैं और सहकारी रजिस्ट्रार अदालतों में केसों का अंबार लगा हैं। विवादों के नही निपटाए जाने से सहकारी क्षेत्र के लिए गंभीर समस्याएँ पैदा होती है।
सहकार भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कोन्कोडी पद्मनाभ ने कहा कि कर्नाटक मे हजारों सहकारी निकायों के साथ एक मजबूत सहकारी आंदोलन है।
उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र को विधान परिषद में प्रतिनिधित्व के साथ ही सहकारी व्यापार के संचालन की देखरेख के लिए एक सांविधिक निकाय की जरुरत है, उन्होंने राजनीतिक दलों से आग्रह किया के वे इन माँगों को पूरा करें।
श्री पद्मनाभ ने राजनीतिक वर्ग को चेतावनी दी है कि वे लोकलुभावन नीतियों का अनुसरण नहीं करें क्योंकि इससे सहकारी समितियों पर अनावश्यक वित्तीय बोझ पड़ता है।