भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने अंततः भारतीय सहकारी कांग्रेस के उद्घाटन की तारीख निर्धारित कर दी है। वह सिरी फोर्ट सभागार में 18 जून, 2013 को कांग्रेस का उद्घाटन करेंगे। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार कांग्रेस की अध्यक्षता करेंगे।
कांग्रेस में सहकारी क्षेत्र की प्रगति और इस क्षेत्र की आकस्मिक समस्याओं के लिए दिशा निर्देशों की समीक्षा की जाएगी। कांग्रेस की थीम सहकारी उद्यम से बेहतर दुनिया का निर्माण करना है। कांग्रेस में विदेश से और देश भर से करीब 2000 से अधिक प्रतिनिधियों के भाग लिए जाने की संभावना है, ऐसा एनसीयूआई की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है।
रिलीज में आगे कहा गया है कि इस अवसर पर मुख्यमंत्रियों, राज्यपालों और विभिन्न राज्यों के सहकारिता मंत्री सम्मानीय अतिथि होंगे। कांग्रेस में सभी सहकारी सेक्टरल क्षेत्रों में फैले सफलता की कहानी और सूचना एवं सहकारिता के अधिकार पर एक किताब रिलीज़ की जाएगी।
एनसीयूआई के अध्यक्ष चन्द्र पाल सिंह ने कहा कि यह कांग्रेस भारत के सहकारी क्षेत्र की सबसे बड़ी छवि निर्माण करनेवाली घटना होगी।
डा. चंद्रपाल सिंह ने बताया कि भारत सरकार के हाल के निर्णय जैसे सीवीसी के अधिकार क्षेत्र से सदस्यों, पदाधिकारियों के विस्तार संबंध से बहु राज्य सहकारी समितियों के कर्मचारी बहुत ही अधिक निराश है और उन्होंने इस निर्णय का जोरदार विरोध किया हैं।
उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों के पदाधिकारी सहकारी समितियों के मामले में सर्वोच्च निकाय है जो कि सामान्य निकाय के सदस्यों के प्रति जवाबदेह हैं।
देश में 6 लाख से अधिक सहकारी समितियां हैं। सहकारिता ने 100% गांवों और 75% ग्रामीण घरों को कवर किया हुआ है। सहकारिता ने कृषि ऋण, आवास,चीनी, दूध, पर्यटन, मत्स्य, कताई, पर्यटन, उर्वरक जैसे सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों के लगभग सभी क्षेत्रों में एक मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है।
दूध सहकारी समितियों के महत्वपूर्ण योगदान के कारण भारत विश्व में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। अमूल, इफको और कृभको सहकारी क्षेत्र में सबसे बड़ी सफलता की कहानी है।