बैंकों और वित्तीय संस्थानों के प्रतिनिधि ने बजट पूर्व परामर्श के क्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री और उनकी टीम से मुलाकात की है. शहरी सहकारी बैंक के अध्यक्ष श्री मुकुंद अभ्यंकर भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे.
कहा जाता है कि श्री अभयंकर ने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 (पी)(4) के उन्मूलन की दृढ़ता से मांग की है जिससे कि शहरी सहकारी बैंक(यूसीबी)के भुगतान से मुक्त हों और भारत की सभी 1600 प्राथमिक सहकारी बैंकों के लिए एक राष्ट्रीय स्तर के शहरी सहकारी बैंक की स्थापना की जाय.
प्रतिनिधि नाईक समिति की रिपोर्ट को लागू करने, परिसंपत्ति देनदारी और बैंकों की बैलेंस शीट के बीच बेमेल को हटाने और दूसरों के बीच में उधार देने वाले प्राथमिकता क्षेत्र की परिभाषा में संशोधन के लिए मांग की.
अभ्यंकर के अलावा बैठक में भाग लेने वाले लोगों में सुश्री अरुंधति भट्टाचार्य- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, डॉ. राजीव बी लाल- आईडीएफसी लिमिटेड, श्री एम. नरेंद्र- इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी), श्री के.आर. कामथ- पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), श्री एस एस मुंद्रा- बैंक ऑफ बड़ौदा (बॉब), श्री सुधीर कुमार जैन- सिंडिकेट बैंक, श्री राजीव ऋषि- सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, श्री एम.एस. राघवन- आईडीबीआई, डा. हर्ष कुमार भनवाला- नाबार्ड, श्री एस.के. रॉय और कई अन्य शामिल थे.
इससे पहले एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी- डॉ. दिनेश ने भी मंत्रिस्तरीय टीम से आयकर के उन्मूलन के लिए मांग की थी.