जोसफ पुराथुर्कित्तन उनका नाम है. उनका सपना है वर्गीज कुरियन के अधूरे एजेंडा को पूरा करना. उन्होंने कहा कि कुरियन को लात मारी गई, गोली चलाई गई और सहकारी बिरादरी से बाहर कर दिया गया था. लेकिन उन्होंने अपने सपने को छोडने से मना कर दिया. कुरियन के विषय में चर्चा होने पर जोसेफ भन्ना जाते हैं.
लेकिन यह सच है कि कुरियन को उनसे बेहतर कोई नहीं समझता है. वह पूछते हैं कि मिशिगन विश्वविद्यालय से एक परमाणु भौतिकविद् गुजरात के इलाकों में क्यों खो जाना चाहते हैं. इसका कारण दूध नहीं था बल्कि यह किसानों के सशक्तिकरण के लिए एक सामाजिक क्रांति थी और यह अपने सिर पर पिरामिड खडा करने के समान हैं.
इसमें कोई संदेह नहीं कि दूध एक मध्यम था. कुरियन ग्रामीण भारत को सशक्त करना चाहते थे और उन्होंने साधन के रूप में दूध को चुना. किसान सहकारी क्रांति में उत्पादक-मालिक बन गए. यह क्रांति गुजरात के गांवों में कुरियन द्वारा फैलाई गई थी, जिससे भारत अमेरिका को दूसरे नंबर पर लाकर दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया, वे कहते हैं.
क्यों विश्व बैंक अमूल को बिना मांगे ऋण देता है या एक के बाद एक राज्य के प्रमुख गुजरात का दौरा करने आते हैं -मुझे बताएं? एक व्यावसायिक उद्यम की सफलता को देखने या कुरियन से मिलने के लिए? वे बहुत गरीब लोगों के सामाजिक सशक्तिकरण से खुश थे, जो दुनिया में और कहीं भी अनसुना एक अनूठा प्रयोग था.
पाठकों को पता होगा कि जोसुफ 1991 में निजी सहायक के रूप में कुरियन के साथ आए और उसके साथ रहे जबकि हर कोई उनको छोड़ दिया. कुरियन-अमृता विवाद के दौरान भी कुरियन की बेटी ने जोसुफ का विरोध किया था. उसने महसूस किया कि जोसुफ के कारण कुरियन कड़ी मेहनत से अर्जित प्रतिष्ठा खो रहे थे. लेकिन कुरियन का जोसफ में विश्वास कभी कम नहीं हुआ,उन्होंने भारतीयसहकारिता.कॉम को बताया.
जोसेफ एनडीडीबी के एजेंडे के विरोध में रहे हैं जिसमें एनडीडीबी ने सहकारी समितियों के विकास के बजाय व्यावसायीकरण पर अधिक ध्यान दे रहा है जबकि सांविधिक सूत्रीकरण द्वारा विकास ही मूल रूप से परिकल्पित है.
“जो बात एनडीडीबी नहीं समझती वह यह है कि इसके द्वारा अर्जित बडे लाभ से भी विरोध ग्रामीण इलाकों का बदलाव नहीं होगा – कुरियन ने इसी कारण अमृता का विरोध किया. वह आगे देखने और दुग्ध उत्पादन में एक नए युग में प्रवेश करने पर आधुनिक रूप में पेश हो रही थी.
लेकिन लोग कुरियन के वास्तविक अर्थ को समझने में विफल रहे. कुरियन किसी अन्य चीज की तुलना में किसानों के सशक्तिकरण के अधिक पक्ष में थे. उनकी शिष्या अमृता पटेल की तरह दुनिया ने भी उन्हें विफल कर दिया, जोसफ ने पश्चाताप किया.