भारतीयसहकारिता.कॉम ने जब पहली बार उनसे संपर्क किया तो सबसे बड़ा शहरी सहकारी बैंक सारस्वत के अध्यक्ष एकनाथ केशव ठाकुर के शब्द थे “हाँ मैंने आपके के बारे में सुना है, आप एक अद्भुत काम कर रहे हैं “. कैंसर के खिलाफ एक कठिन लड़ाई लडते हुए उन्होंने वीरवार को अंतिम सांस ली.
एक विनम्र पृष्ठभूमि से शुरू हुए इस आदमी में कुछ था. महज एक दशक के अंतराल में उन्होंने सारस्वत बैंक को भारतीय सहकारी आंदोलन का गौरव बना दिया. पिछले कुछ सालों उनका स्वास्थ्य अच्छा नहीं था और मुंबई कार्यालय में नहीं आ रहे थे. लेकिन वह फिर भी एक निगाह रखते थे.
सहकारी कर्यों के एक महान चैंपियन, अक्सर वह एक छाता सहकारी सम्मेलन का आयोजन करने के लिए इस संवाददाता से कहते थे. “देखिए, आप अपने समाचार पोर्टल के रूप में एक क्षेत्र तक ही सीमित नहीं रहे क्योंकि इसमे सहकारी आंदोलन के सभी पहलुओं को शामिल किया गया. वह कहा करते थे, “भविष्य में कभी कभी एक मंच पर एक साथ हम सभी को लाने के लिए प्रयास करें”.
उन्होंने धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ सारस्वत बैंक के विकास को निर्देशित किया और हमें अलविदा कहते समय बैंक को 36,000 करोड़ रुपये पर छोड़ गये हैं. शिवसेना से राज्यसभा सांसद, उन्होंने विदेशी विश्वविद्यालयों में अध्ययन करके अपनी विनम्र शुरुआत की थी.
एकनाथ अक्सर मुंबई और दिल्ली सहित देश के चारों ओर सारस्वत बैंक की राजसी कार्यालयों में जाते थे. “क्या आपने दिल्ली में हमारे कार्यालय को देखा है, अगली बार जब आप शहर में हैं अवश्य जाएं” उन्होंने आंखों में एक चमक के साथ इस संवाददाता को बताया था.
ठाकुर ने NAFCUB के नेतृत्व को कभी नहीं स्वीकार किया और शहरी सहकारी बैंकों की शीर्ष संस्था से एक अलग धुन गाया करते थे. यद्यपि उन्हें सर्वोच्च राष्ट्रीय सहकारी निकाय एनसीयूआई में भी शामिल किया गया था, उन्होंने इसकी बैठकों में कभी भाग नहीं लिया और औपचारिकताओं निभाने के लिए अपने प्रतिनिधि को भेजा करते थे.
यही कारण है कि वे महत्वाकांक्षा से भरे थे और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना जानते थे. सहकारी निकाय वैसे तेज नहीं थे जैसा वह उन्हें पसंद था. उन्होंने इस प्रक्रिया में कई से दुश्मनी भी की लेकिन कभी सारस्वत बैंक लाभ देने वाले किसी मौके कॉ जाने नहीं दिया.
बीमार शहरी सहकारी बैंकों में से कुछ के सारस्वत बैंक के साथ विलय से कई जमाकर्ता निराश हुए थे. लेकिन ठाकुर ने भारतीयसहकारिता.कॉम को हमेशा आश्वासन दिया कि उन्होंने कोई धूर्तता नहीं की है. वह एक महान पुरुष थे.