दिल्ली में हाल ही में आयोजित NAFCUB की वार्षिक आम बैठक के बाद जैसे ही प्रतिनिधियों ने बात करना शुरू किया, कई चौंकाने वाले तथ्य ऊपर आने लगे.
राजस्थान के राजलक्ष्मी बैंक के अध्यक्ष डॉ फिरोज़ा बानो ने खुलासा किया कि देश में पहले से ही 85 महिला शहरी सहकारी बैंक हैं जिसके बारे में सरकार को कोई पता नहीं है. पाठकों को पता होगा कि पिछले यूपीए बजट में महिला बैंक की स्थापना की घोषणा बड़ी धूमधाम के साथ की गई थी. सरकार ने इसे एक उत्तम विचार के रूप में बहुप्रचारित किया और बताया कि इससे महिलाओं की बैंकिंग जरूरतों से संबंधित सभी समस्याओं का समाधान होगा.
डॉ बानो खेद व्यक्त किया कि सरकार केवल मौजूदा 85 महिला शहरी सहकारी बैंकों को ध्यान में लिया गया होता और सच्चे अर्थों में उन के माध्यम से महिलाओं को तक पहुँचने की कोशिश की गई होती तो अच्छा होता.
डॉ बानो खुद ही एक ऐसे ही बैंक – राज लक्ष्मी महिला शहरी सहकारी बैंक की अध्यक्ष हैं जो भारतीय रिजर्व बैंक के तहत जयपुर में 1996 में स्थापित किया गया था जिसका प्राथमिक उद्देश्य है महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति के उत्थान के लिए सहयोग की भावना के माध्यम से उन लोगों के बीच बचत की आदतों को बढ़ावा देना और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना.
18 साल की छोटी सी अवधि में बैंक में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और महिलाओं के लिए एक सच्चा मददगार साबित हुआ है.
सरकार के अपने प्रयास सीमित हैं और यदि प्रयास सहकारी क्षेत्र द्वारा किया जाता है तो इसपर सरकार का ध्यान उसपर नहीं जाता, प्रतिनिधियों में से एक ने महसूस किया. सहकारी के प्रति सरकारी उदासीनता देश के गरीब द्वारा वहन किया जा रहा है.