ओडिशा में अर्थ तत्व बहुराज्य सहकारी सोसायटी की घटना आंख खोलने वाली है. एक व्यक्ति या एक सहकारी समिति को पुरस्कार देते समय अतिरिक्त सतर्क रहना चाहिए. क्योंकि कोई कभी नहीं जानता कि वह मुसीबत में पड सकता है, जैसा बीजद विधायक और ओडिशा राज्य सहकारी संघ के अध्यक्ष पर्वत त्रिपाठी ने किया.
धोखाधड़ी का यह एक अनोखा मामला है. प्रदीप सेठी नामक एक व्यक्ति कुछ भोले सदस्यों की सूची से एक सहकारी समिति खोलता है, बहु राज्य की स्थिति के लिए आवेदन करता है और इसे प्राप्त करने में सफल होता है.
उनका अगला कदम लोगों का विश्वास जीतना है और वह पहले ओडिशा राज्य सहकारी संघ से मान्यता करता है. अति जल्दबाजी में राज्य सहकारी संघ उसे वर्ष 2010 के लिए सर्वश्रेष्ठ युवा सहकारी पुरस्कार से सम्मानित करता है! आम लोगों मे उसकी छवि एक अच्छे व्यक्ति की बनाने के लिए यह काफी था. था या नहीं है?
अपना नाम स्थापित करने के बाद, जालसाज़ धोखा देने की योजना बनाता है और भुबनेश्वर तथा आसपास के क्षेत्रों से भारी पैसा जमा करता है.
अपने को एक अच्छा आदमी साबित करने के लिए वह पुरस्कार का बडा बैनर लगाता है. चंकि पुरस्कार पर राज्य सरकार की मुहर लगी है, वह विश्वसनीय लगता था.
अब सीबीआई ओडिशा राज्य सहकारी संघ से जानना चाहता है कि सेठी कैसे चुना गया था? कितने आवेदन आए थे और सेठी के नाम की सिफारिश किसने की थी? संक्षेप में, ‘पुरस्कार विजेताओं के चयन में लापरवाही सीबीआई के लिए एक प्रश्न का कारण पैदा करती है. यह वार्षिक पुरस्कार प्रदान करने वाली अन्य सहयोगी संगठनों के लिए एक सबक है.
एजेंसी मानने को तैयार नहीं है कि कोई व्यक्ति अध्यक्ष के रूप में नामित किए जाने के 15 दिनो की अवधि के भीतर पुरस्कार कैसे पा सकता है.
जांच एजेंसी के कब्जे में अर्थ तत्व द्वारा पुरस्कार के लिए प्रस्तुत आवेदन और दस्तावेज है जो संकेत करते हैं कि अनुचित जल्दबाजी में ओडिशा राज्य सहकारी संघ (OSCU) ने उन्पर विचार किया और यह पुरस्कार दिया.
हमारे पाठकों को शुरू से ही उस पर शक था. हमें अर्थ तत्व बहुराज्य सहकारी सोसायटी की प्रामाणिकता पर कई आपत्तियां मिलीं थीं. हमारे विशेषज्ञ श्री आई.सी. नाईक ने इसका पता लगाने के लिए पाठकों को सलाह दी थी.